विष्णु लक्ष्मी गणेश शिव जी की आरती

                          विष्णु भगवान की आरती

जय विष्णु, जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे। भक्तजनों के संकट, दास जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥

जय विष्णु, जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे।

चंदन, मृगमदा, उशीर, चंपक, बिल्व पत्र, लोचन, भिल्लेतिलक समारे॥

जय विष्णु, जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे।

आरती कीजै जगन्नाथ, स्वामी जय जगदीश हरे। जगत पिता, जगतधाता, मम तु अंग विष्णु, सदा विष्णु॥

जय विष्णु, जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे।

नित्यानंदकरि, प्रेमसुद्धा, भक्ति विकासीत कलिमल हरे॥

जय विष्णु, जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे।

जय विष्णु, जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे

Shiv Chalisa

 गणेश जी की आरती : विष्णु लक्ष्मी गणेश शिव जी की आरती

जय गणेश  जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी। माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा। लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा॥

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया। बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया॥

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

‘सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा। माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी। कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी॥

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

विष्णु लक्ष्मी गणेश शिव जी की आरती
विष्णु लक्ष्मी गणेश शिव जी की आरती

                          आरती श्री लक्ष्मी जी की

जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥

उमा रमा ब्रह्मानी, तुम ही जग-माता।
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥

दुर्गा स्वरूपिणी, जय जग पालिनी।
तुम सेवत नर-नारी, भक्त-भ्रुगुक्ष-ग्रामिणी॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥

चौरह अठह सिद्ध, योगी सदन्यह सब संतन।
वंदित विश्व-विधात्री, भव-भय-हारिणि॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥

तुम पाताल-निवासिनी, तुम ही शुभदाता।
कर्म-प्रवार-प्रवाणी, भव-भगति की जगता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥

जिस घर में तू विराजती, तिनके मुख फूर होते।
माँ, निशा-दिन व्यापति, तुमहो फल खोते॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥

चाँदी, सोनी, हरि-भरणी, बैजंती, वनमालिनी।
तुम ही वैकुण्ठ-धामिनी, विष्णु-विहारिणी॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥

अध्यांत-रहित माँ, तुम ही ग्यान-गम्या।
जगत के जेते जेते, तुम ही विचार्या॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥

श्री लक्ष्मी-जी की आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥

विष्णु लक्ष्मी गणेश शिव जी की आरती
विष्णु लक्ष्मी गणेश शिव जी की आरती

                                   शिव जी आरती 

ॐ जय शिव ओंकारा,
स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव,
अर्द्धांगी धारा ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥

एकानन चतुरानन
पंचानन राजे ।
हंसासन गरूड़ासन
वृषवाहन साजे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥

दो भुज चार चतुर्भुज
दसभुज अति सोहे ।
त्रिगुण रूप निरखते
त्रिभुवन जन मोहे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥

अक्षमाला वनमाला,
मुण्डमाला धारी ।
चंदन मृगमद सोहै,
भाले शशिधारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥

श्वेताम्बर पीताम्बर
बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक
भूतादिक संगे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥

कर के मध्य कमंडल
चक्र त्रिशूलधारी ।
सुखकारी दुखहारी
जगपालन कारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव
जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर में शोभित
ये तीनों एका ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥

त्रिगुणस्वामी जी की आरति
जो कोइ नर गावे ।
कहत शिवानंद स्वामी
सुख संपति पावे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥

लक्ष्मी व सावित्री
पार्वती संगा ।
पार्वती अर्द्धांगी,
शिवलहरी गंगा ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥

पर्वत सोहैं पार्वती,
शंकर कैलासा ।
भांग धतूर का भोजन,
भस्मी में वासा ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥

जटा में गंग बहत है,
गल मुण्डन माला ।
शेष नाग लिपटावत,
ओढ़त मृगछाला ॥
जय शिव ओंकारा…॥

काशी में विराजे विश्वनाथ,
नंदी ब्रह्मचारी ।
नित उठ दर्शन पावत,
महिमा अति भारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥

ॐ जय शिव ओंकारा,
स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव,
अर्द्धांगी धारा ॥

विष्णु लक्ष्मी गणेश शिव जी की आरती
विष्णु लक्ष्मी गणेश शिव जी की आरती

                        गयंत्री देवी मंत्र

ऊँ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि।धियो यो न: प्रचोदयात्।।

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