माँ दुर्गा की कृपा और आशीर्वाद के लिय मंत्र :
यह मंत्र माँ दुर्गा की पूजा और आराधना में जापित किया जाता है। या देवी सर्वभूतेषु मंत्र इस मंत्र का जाप भक्ति और श्रद्धा से किया जाता है और यह माँ दुर्गा की कृपा और आशीर्वाद को प्राप्त करने में सहायता करता है। यह मंत्र दुर्गा मा की शक्ति और शांति की प्रतीक्षा करने के लिए प्रयोग किया जाता है और प्रशांति और सुख-शांति की प्राप्ति के लिए जापित किया जा सकता है।
‘या देवी सर्वभूतेषु’ मंत्र का अर्थ है:
“या देवी सर्वभूतेषशक्ति-रूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।
या देवी सर्वभूतेषु शांति-रूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।”
इस मंत्र का अर्थ है: “हे देवी, जो सभी प्राणियों में शक्ति के रूप में स्थित हैं, हम आपको नमस्कार करते हैं। हम पुनः और पुनः आपको नमस्कार करते हैं। हे देवी, जो सभी प्राणियों में शांति के रूप में स्थित हैं, हम आपको नमस्कार करते हैं। हम पुनः और पुनः आपको नमस्कार करते हैं।”
यह मंत्र माँ दुर्गा की पूजा और आराधना में उपयोग किया जाता है और भक्ति और श्रद्धा के साथ जाप किया जाता है। यह मंत्र माँ दुर्गा की शक्ति, शांति और सुख-शांति की प्राप्ति के लिए प्रयोग किया जाता है।
या देवी सर्वभूतेषु मंत्र Benefits:
“या देवी सर्वभूतेषु” मंत्र का जाप एक प्रमुख धार्मिक प्रथा मानी जाती है, जिसे भगवानी दुर्गा की पूजा और आराधना में उच्च मान्यता प्राप्त है। यह मंत्र प्राणीजाति की शक्ति और शांति के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। इस मंत्र का जाप शाम के समय, सूर्यास्त के समय किया जाता है, जो कि आत्मा की शांति और सुख-शांति की प्रतीक्षा करने के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है।
इस मंत्र का जाप करते समय व्यक्ति को ध्यान देना चाहिए कि वह इसे सही और शुद्ध मन से कर रहा है। सूर्यास्त के समय, जब दिन का अंत होता है और रात्रि की आगमन होता है, उस समय प्राकृतिक शांति की अद्यापन होती है। इसलिए, इस मंत्र का जाप इस समय विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है, जिससे व्यक्ति अपनी आत्मा को शांति, सुख, और प्रशांति की प्राप्ति की अपेक्षा में रख सकता है।
मंत्र का जाप करते समय, व्यक्ति को ध्यान देना चाहिए कि वह इसे श्रद्धा और विश्वास से पढ़ रहा है। जाप के दौरान, व्यक्ति को देवी के प्रतिमा के सामने बैठना चाहिए। मुख को देवी की ओर मुख करने से व्यक्ति की भक्ति और समर्पण की भावना महसूस होगी। इस मंत्र का जाप करते समय, व्यक्ति को लाल फूल की अर्पण करनी चाहिए, जो कि प्रेम और समर्पण का प्रतीक होता है। इसके अलावा, जाप के दौरान व्यक्ति को घी के दीपक जलाना चाहिए, जिससे पवित्रता और शुद्धता की भावना उत्कृष्ट हो।
इस मंत्र का जाप कम से कम ग्यारह बार करना होता है, जिससे पूर्णतः और संपूर्ण भावना के साथ मंत्र का जाप हो सके। यह जाप व्यक्ति को आत्मा की ऊँचाई तक ले जाने का प्रयास करता है, जिससे उसकी आत्मा को शांति, सुख, और समृद्धि की प्राप्ति हो सके।”
यह आर्टिकल मंत्र “या देवी सर्वभूतेषु” के महत्व को समझाने और उसके जाप की सही प्रक्रिया को समझाने के लिए लिखा गया है। यह मंत्र भक्ति और श्रद्धा के साथ जाप किया जाता है और विशेष रूप से सूर्यास्त के समय में प्रभावी होता है। यह आत्मा की शांति, सुख, और समृद्धि की प्राप्ति में सहायता करने में सामर्थ्य रखता है।
या देवी सर्वभूतेषु मंत्र पड़ने से क्या फायदे हे क्या लाभ हे ?:
“यह मंत्र व्यक्ति को बलवान बनाता है, उसकी आत्मा में शक्ति का संचार करता है। इस मंत्र के जाप से मनुष्य अपने जीवन में शांति की प्राप्ति करता है, मानसिक चिंता और उत्साह के साथ। इस मंत्र के जाप से मनुष्य के जीवन में सुख और समृद्धि का आगमन होता है, जो उसके दिल में खुशियाँ और संतुलन लाता है।
यह मंत्र सभी प्रकार के भय और मानसिक कष्टों को दूर करता है, मन को शांति और स्थिरता की ओर ले जाता है। इसके जाप से व्यक्ति की दृष्टि स्पष्ट होती है, जिससे वह जीवन में सही निर्णय लेने में समर्थ होता है।
यह मंत्र शत्रुओं और बुरी आत्माओं के भय को दूर करता है, व्यक्ति को रक्षा और सुरक्षा की भावना प्रदान करता है। इसका जाप करने से घरों और व्यक्तियों के जीवन में समग्र शांति, समृद्धि और समृद्ध जीवन की प्राप्ति होती है।