Ladka Hoga Ya Ladki Jyotish:ये गलती बिल्कुल भी न करे

Ladka Hoga Ya Ladki Jyotish जाने ज्योतिष के माध्यम से :

पुरुष और स्त्री ग्रह, जब दोनों ही योग कारक होते हैं, तो पुत्र और पुत्री दोनों का सुख मिलता है। Ladka Hoga Ya Ladki Jyotish के हिसाब से  पंचम भाव और पंचमेश जब पुरुष ग्रह के वर्गों में होते हैं, तो पुत्र बनता है, और जब स्त्री ग्रह के वर्गों में होते हैं, तो कन्या संतान की प्रधानता रहती है।
पंचमेश के भुक्त नवांशों में जितने पुरुष ग्रह के नवांश होते हैं, उतने पुत्र बनते हैं, और जितने स्त्री ग्रह के नवांश होते हैं, उतनी पुत्रियाँ पैदा होती हैं। इसके साथ ही, नवांशों के स्वामी जब अस्त, नीच-शत्रु राशि में पाप युक्त या दृष्ट होते हैं, तो उतनी ही पुत्र या पुत्रियों को हानि हो सकती है। भारतीय ज्योतिष की एक विशेषता है कि इससे किसी भी व्यक्ति की कुंडली देखकर संतान सुख का अनुमान लगाया जा सकता है। सूर्य, मंगल, गुरु को पुरुष ग्रह माना जाता है, जबकि शुक्र, चंद्र स्त्री ग्रह हैं, और बुध और शनि नपुंसक ग्रह हैं। संतान योग कारक पुरुष ग्रह होने पर पुत्र और स्त्री ग्रह होने पर पुत्री का सुख मिलता है। शनि और बुध जब विषम राशि में होते हैं, तो पुत्र होता है, और सम राशि में होते हैं, तो पुत्री पैदा होती है। सप्तमेश पुरुष ग्रह होने पर पुत्र और स्त्री ग्रह होने पर कन्या संतान का सुख मिलता है, और गुरु के अष्टक वर्ग में गुरु से पांचवें स्थान पर पुरुष ग्रह बिंदू दायक होते हैं, तो पुत्र, और स्त्री ग्रह बिंदू दायक होते हैं, तो पुत्री का सुख प्राप्त होता है।

पुरुष और स्त्री ग्रहों के योग

  • ज्योतिष में संतान सुख का महत्व
  • आरंभिक ज्योतिष और पुरुष-स्त्री ग्रह

 पुरुष और स्त्री ग्रहों के योग कारकता 

  • पुरुष ग्रहों का सुख
  • स्त्री ग्रहों का प्रभाव

 पंचम भाव और पंचमेश 

  • पुत्र और पुत्री के सम्बंध में पंचम भाव
  • पंचमेश के पुरुष और स्त्री ग्रहों का महत्व

नवांश और पुत्र-पुत्री की संख्या 

  • पुरुष ग्रहों के नवांश में पुत्र का योग
  • स्त्री ग्रहों के नवांश में पुत्री का योग

पुत्र-पुत्री की संतान का योग 

  • गुरु के अष्टक वर्ग में योग
  • शनि और बुध की राशि विषमता का प्रभाव

ज्योतिष और नवजात शिशु के स्वास्थ्य 

  • ग्रहों का शिशु के स्वास्थ्य पर प्रभाव
  • सुख-शांति के लिए पुरानी रीतियों का महत्व

नवजात संतान के विकास में ज्योतिषीय सुझाव 

  • विभिन्न ग्रहों के सुझाव
  • संतान के शिक्षार्थी योग्यता के लिए उपाय

संतान सुख और ज्योतिष का आधार

  • ज्योतिष में संतान सुख का अधिक महत्व
  • एक समृद्धि भरा परिवार बनाने के लिए सुझाव
  • Ladka Hoga Ya Ladki Jyotish
    Ladka Hoga Ya Ladki Jyotish

संतान सुख और ज्योतिष का आधार:

ज्योतिष, भारतीय सांस्कृतिक सृष्टि का हिस्सा है,Ladka Hoga Ya Ladki Jyotish के अनुसार जिसमें संतान सुख को लेकर अनेक रहस्य और सूत्र हैं। इस लेख में हम जानेंगे कि पुरुष और स्त्री ग्रहों के योग कारकता कैसे होते हैं और ज्योतिष के माध्यम से संतान सुख को कैसे बढ़ाया जा सकता है।संतान सुख, हर परिवार के जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है। ज्योतिष विद्या में, संतान सुख को प्राप्त करने के लिए पुरुष और स्त्री ग्रहों के योग कारकता को महत्वपूर्ण माना जाता है।

ज्योतिष में पुरुष ग्रहों का सुख और स्त्री ग्रहों का प्रभाव विशेष महत्वपूर्ण है। पुरुष ग्रहों की स्थिति में पुत्र, और स्त्री ग्रहों की स्थिति में पुत्री का योग होता है।

पंचम भाव और उसके पंचमेश का महत्वपूर्ण योगदान है। यह भाव पुत्र और पुत्री के संबंध में महत्वपूर्ण है और पुरुष और स्त्री ग्रहों का भी विशेष महत्व है।

नवांश में पुत्र और पुत्री की संख्या का योगदान है। पुरुष ग्रहों के नवांश में पुत्र का योग और स्त्री ग्रहों के नवांश में पुत्री का योग होता है।

गुरु के अष्टक वर्ग में योग और शनि, बुध की राशि विषमता का प्रभाव संतान सुख के लिए योगदान करते हैं।

ज्योतिष का योगदान नवजात शिशु के स्वास्थ्य पर भी होता है। ग्रहों की स्थिति और प्रभाव शिशु के स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं।

ज्योतिषीय सुझाव से संतान का सही विकास हो सकता है। विभिन्न ग्रहों के सुझाव और उपाय बच्चे की योग्यता के लिए होते हैं।

आखिरकार, संतान सुख में ज्योतिष का योगदान हमारे परिवार को सुखद बना सकता है। ज्योतिष में दिए गए सुझावों का पालन करके हम एक समृद्धि भरा परिवार बना सकते हैं।

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शुक्र और मंगल बहुत महत्वपूर्ण ग्रह

संतान होना एक सुखद अनुभव होता है, लेकिन कई बार यह प्रक्रिया संघर्षपूर्ण हो सकती है। यहां हम विस्तृत रूप से बताएंगे कि कैसे शुक्र और मंगल ग्रहों की स्थिति कुंडली में संतान उत्पत्ति को प्रभावित कर सकती है और कैसे इस पर ध्यान देकर हम इस समस्या को निवारित कर सकते हैं।

शुक्र ग्रह: पुरुष की संतान उत्पत्ति की कुंडली

शुक्र ग्रह पुरुष की संतान उत्पत्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।Ladka Hoga Ya Ladki Jyotish के अनुसार  पुरुष की जन्मकुंडली में शुक्र ग्रह स्वस्थ और बलवान होता है, तो संतान प्राप्ति में सुख की ऊंचाइयों तक पहुंचा जा सकता है। शुक्र ग्रह का सकारात्मक प्रभाव पुरुष की शारीरिक स्वास्थ्य, वीर्य की गुणवत्ता और शादीशुदा जीवन में सुख की ओर संकेत कर सकता है।

मंगल ग्रह: स्त्री की संतान उत्पत्ति की कुंडली

मंगल ग्रह स्त्री की संतान उत्पत्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।Ladka Hoga Ya Ladki Jyotish के अनुसार अगर मंगल ग्रह स्वस्थ और शुभ है, तो स्त्री को संतान प्राप्ति में सफलता मिल सकती है। मंगल ग्रह स्त्री की कुंडली में अपनी शक्ति से प्रतिष्ठान बना सकता है और संतान के लिए सुखद मार्ग की ओर पहुंचा सकता है।

अन्य योग: बाधा के निवारण के लिए उपाय

संतान बाधा की स्थिति में योग कारक ग्रहों की पूजा, दान, और हवन करना महत्वपूर्ण है। इससे बाधा का निवारण होता है और संतति सुख प्राप्त होता है। सूर्य, चंद्र, बृहस्पति, और शनि ग्रहों को शक्तिशाली बनाने के लिए उपाय करना चाहिए। यह योग बाधा को दूर करने में सहायक हो सकता है और संतान के प्रति आपकी इच्छा को पूरा करने में मदद कर सकता है।

चिकित्सा परामर्श:

अगर आपको लगता है कि आपकी संतान प्राप्ति में कोई समस्या है, तो आपको एक कुशल चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए। चिकित्सक आपकी कुंडली का विश्लेषण करके आपको विशेष उपाय और उपचार सुझा सकते हैं जो आपकी समस्या को ठीक करने में मदद कर सकते हैं।

NOTE- PAREGANCY के समय  लड़का हे या लड़की  ये जानना  कानूनी उपराध हे , हम और हमारी  TEAM ऐसी किसी भी ऐक्टिविटी  के खिलाफ हे |

 

 

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