केतु भारतीय ज्योतिष में एक महत्वपूर्ण ग्रह है, लेकिन यह वास्तव में एक ग्रह नहीं है। केतु को “छाया ग्रह” या “नोडल ग्रह” कहा जाता है। केतु के उपाय लाल किताब के बारे मे जाने से पहले जानिए केतु के बारे मे | यह ग्रह राहु के साथ मिलकर चंद्रमा की कक्षाओं के दो बिंदुओं को दर्शाता है, जहाँ चंद्रमा और पृथ्वी की कक्षाएँ एक-दूसरे को काटती हैं। इन बिंदुओं को राहु और केतु के रूप में जाना जाता है।
केतु को रहस्यमय और आध्यात्मिक ग्रह माना जाता है। यह अक्सर त्याग, मोक्ष, और ध्यान के साथ जोड़ा जाता है। इसे ज्ञान और वैराग्य का प्रतीक भी माना जाता है। जब केतु किसी व्यक्ति की कुंडली में महत्वपूर्ण स्थान पर होता है, तो यह उसे आध्यात्मिकता की ओर ले जा सकता है और उसे सांसारिक बंधनों से मुक्त होने की प्रेरणा दे सकता है।
केतु का प्रभाव नकारात्मक भी हो सकता है, खासकर यदि यह कुंडली में अशुभ स्थिति में हो। यह मानसिक अशांति, भ्रम, और अचानक घटनाओं का कारण बन सकता है। इसके प्रभाव के तहत व्यक्ति को दुर्घटनाओं, चोटों, या अचानक परिवर्तन का सामना करना पड़ सकता है।
केतु दोष से मुक्ति पाना कोई कठिन कार्य नहीं है, यदि हम सही उपायों का पालन करें। नियमित व्रत, मंत्र जाप, दान, पूजा-पाठ और हवन से हम केतु की नकारात्मकता को कम कर सकते हैं और अपने जीवन में सुख-समृद्धि ला सकते हैं। इन उपायों को अपनाकर हम केतु के प्रकोप से मुक्त हो सकते हैं और एक सुखी जीवन जी सकते हैं।
केतु दोष से मुक्ति पाने का सबसे प्रभावी उपाय शनिवार के दिन व्रत रखना है। इस उपाय के तहत, व्यक्ति को लगातार 18 शनिवार का व्रत रखना चाहिए। व्रत रखने से केतु की नकारात्मक ऊर्जा कम होती है और जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं। आपको शनिवार को ही केतु के सारे दिए हुय उपाय करने चाहिए |
केतु दोष के लक्षण :केतु खराब होने के कुछ लक्षण हे
केतु ग्रह को ज्योतिष में रहस्यमयी और गूढ़ ग्रह माना गया है। यह ग्रह आध्यात्मिकता, रहस्यवाद और मानसिक अस्थिरता का प्रतीक है। केतु की स्थिति कमजोर होने पर व्यक्ति को कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। आइए जानते हैं केतु के प्रकोप के लक्षण और उनके प्रभावों के बारे में विस्तार से।
त्वचा संबंधी रोग-
केतु ग्रह की स्थिति खराब होने पर त्वचा संबंधी विभिन्न रोग उत्पन्न हो सकते हैं। इन रोगों में खुजली, दाद, एक्जिमा, सोरायसिस आदि शामिल हैं। त्वचा पर लाल चकत्ते, सूजन और खुजली जैसी समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं।
जोड़ों में दर्द
केतु के प्रकोप के कारण जोड़ों में दर्द की समस्या आम होती है। यह दर्द विशेष रूप से घुटनों, कोहनी, कंधों और रीढ़ की हड्डी में महसूस होता है। इस दर्द से दैनिक कार्यों में कठिनाई हो सकती है।
सुनने की क्षमता पर असर
केतु की स्थिति खराब होने पर सुनने की क्षमता पर भी बुरा असर पड़ सकता है। व्यक्ति को कानों में संक्रमण, सुनने में कमी और कान में आवाजें सुनाई देने जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
संतान प्राप्ति में रुकावट
केतु के प्रभाव से संतान प्राप्ति में रुकावटें आती हैं। इसके कारण संतान उत्पत्ति में देरी या गर्भधारण में समस्याएं हो सकती हैं। गर्भपात की संभावना भी बढ़ जाती है।
खांसी की समस्या
केतु ग्रह के प्रभाव से व्यक्ति को अधिकतर खांसी की समस्या बनी रहती है। यह खांसी लंबे समय तक जारी रह सकती है और इसे ठीक करने में कठिनाई हो सकती है।
संतान को समस्याएं
केतु के प्रभाव से संतान को भी किसी न किसी समस्या का सामना करना पड़ता है। इनमें शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं, शिक्षा में बाधाएं, और जीवन में संघर्ष शामिल हो सकते हैं।
तेजी से बाल झड़ना
केतु की स्थिति कमजोर होने पर तेजी से बाल झड़ने की समस्या होती है। यह समस्या पुरुषों और महिलाओं दोनों में देखी जा सकती है और इससे गंजापन भी हो सकता है।
नसों में कमजोरी
केतु ग्रह के प्रकोप से शरीर की नसों में कमजोरी आ जाती है। इसके परिणामस्वरूप मांसपेशियों में कमजोरी, हाथ-पैरों में सुन्नपन, और तंत्रिका तंत्र से संबंधित समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
केतु के उपाय:केतु के उपाय लाल किताब
केतु ग्रह को ज्योतिष शास्त्र में छाया ग्रह माना जाता है। यह ग्रह आमतौर पर विपरीत प्रभाव डालता है, जिससे व्यक्ति के जीवन में बाधाएं, मानसिक तनाव और कई अन्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इसके प्रभाव को कम करने के लिए कुछ उपाय बताए गए हैं, जो सरल और प्रभावी हैं। ये उपाय निम्नलिखित हैं:
1. ध्यान और प्रार्थना:
केतु के नकारात्मक प्रभाव को कम करने के लिए नियमित रूप से भगवान गणेश की पूजा करें। गणेश जी को विघ्नहर्ता माना जाता है और उनकी पूजा से केतु के दोष कम होते हैं। गणेश जी को दूर्वा, मोदक, और लाल रंग के फूल अर्पित करें।
2. मंत्र जाप:
केतु के मंत्र का नियमित जाप करें। केतु के मुख्य मंत्र हैं:
“ॐ केतवे नमः” – इस मंत्र का प्रतिदिन 108 बार जाप करें।
“ॐ स्रां स्रीं स्रौं सः केतवे नमः” – इस मंत्र का भी 108 बार जाप करना शुभ माना जाता है।
3. रुद्राक्ष धारण करें:
केतु के प्रभाव को कम करने के लिए 9 मुखी रुद्राक्ष धारण करें। इसे सिद्ध करवा कर धारण करने से केतु के नकारात्मक प्रभावों में कमी आती है और मानसिक शांति प्राप्त होती है।
4. दान पुण्य:
दान पुण्य करने से ग्रहों के दोषों में कमी आती है। केतु के दोष को कम करने के लिए निम्नलिखित चीजों का दान करें:
काले तिल
काले कपड़े
नीला फूल
लोहा
कंबल
सरसों का तेल
इन चीजों का दान किसी ब्राह्मण या जरूरतमंद व्यक्ति को करें।
5. हनुमान जी की पूजा:
केतु के प्रभाव को कम करने के लिए हनुमान जी की पूजा करें। हर मंगलवार और शनिवार को हनुमान चालीसा का पाठ करें। हनुमान जी को सिंदूर और चमेली का तेल अर्पित करें।
6. लहसुनिया धारण करे :
केतु के प्रभाव को कम करने के लिए ज्योतिषी की सलाह से लहसुनिया रत्न धारण करें। इसे उचित विधि से सिद्ध करके धारण करें।
7. सफेद चीजों का सेवन और दान:
केतु की शांति के लिए सफेद चीजों का सेवन और दान करें, जैसे दूध, चावल, चीनी, और सफेद वस्त्र। ये चीजें दान करने से केतु के दोषों में कमी आती है।
8. आहार और जीवनशैली:
केतु की शांति के लिए आहार में संतुलन रखें। तामसिक और मांसाहारी भोजन से परहेज करें। शाकाहारी भोजन करें और सात्विक जीवनशैली अपनाएं।
9. नागा साधुओं की सेवा:
केतु की शांति के लिए नागा साधुओं की सेवा करें और उन्हें भोजन, वस्त्र आदि का दान करें।
10. शांति व्रत और उपवास:
केतु के प्रभाव को कम करने के लिए मंगलवार और शनिवार को व्रत रखें। इस दिन अन्न का सेवन ना करें और फलाहार करें।
11. केतु यंत्र की स्थापना:
केतु यंत्र की स्थापना करके उसकी नियमित पूजा करें। इसे पूजा स्थान पर स्थापित करें और रोजाना उसकी पूजा करें। इससे केतु के दोषों में कमी आती है।
12. सर्प दान:
केतु के दोष को शांत करने के लिए नाग पंचमी के दिन सर्प का दान करें या सर्पों की सेवा करें।
13. गौ सेवा:
गायों की सेवा करने से भी केतु के दोष कम होते हैं। गाय को हरा चारा, गुड़ और रोटी खिलाएं।
14. धार्मिक स्थल पर सेवा:
धार्मिक स्थलों पर सेवा करना भी केतु के दोष को कम करता है। मंदिरों में सफाई करना, भंडारा करवाना आदि कार्य करें।
15. ध्यान और योग:
रोजाना ध्यान और योग करने से मानसिक शांति प्राप्त होती है और केतु के दोषों में कमी आती है। योगासन जैसे शीर्षासन और प्राणायाम करें।
16. माला पहनना:
केतु की शांति के लिए हकीक माला धारण करें। इसे नियमित रूप से धारण करने से केतु के दोषों में कमी आती है।
17. केतु कवच का पाठ:
केतु कवच का पाठ करने से केतु के नकारात्मक प्रभाव कम होते हैं। रोजाना सुबह इसका पाठ करें।
18. सर्प सूक्त का पाठ:
सर्प सूक्त का पाठ करने से भी केतु के दोषों में कमी आती है। इसे विशेष रूप से नाग पंचमी के दिन करना शुभ माना जाता है।
इन उपायों को नियमित रूप से करने से केतु के नकारात्मक प्रभावों में कमी आती है और जीवन में सकारात्मकता बढ़ती है। ध्यान रहे कि किसी भी उपाय को करने से पहले योग्य ज्योतिषी की सलाह जरूर लें।
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